धर्मातरण पर सागर में पहली बार सजा:ईसाई धर्म अपनाने का दबाव बनाने वालेदंपती को 2-2 साल की कैद
न्यायालय सप्तम अपर सत्र न्यायाधीश किरण कोल कीअदालत ने धर्मातरण के प्रयास के एक मामले में आरोपीपति-पत्नी को 2-2 साल की सजा व 25-25 हजाररुपए जुर्माने की सजा से दंडित किया है।आरोपी दंपती ने युवक को ईसाई धर्म अपनाने परनौकरी के अलावा 20 हजार रुपए प्रतिमाह देने कालालच दिया था। मामला शहर के कैट थाना क्षेत्र का है।आरोपी आवेदक की पत्नी के रिश्तेदार हैं।
ईसाई धर्म न अपनाने पर पत्नी को छोड़ने का दबावबना रहे थे। कोर्ट ने मामले में अभियोजन पक्ष द्वारा पेशसाक्ष्य-सबूतों व गवाहों के आधार पर मध्य प्रदेश धार्मिकस्वतंत्रता अधिनियम 2021 की धारा 3 व सहपठितधारा 5 के तहत सजा व जुर्माने से दंडित किया है।मामले की पैरवी करने वाले अपर लोक अभियोजकरमन कुमार जारोलिया ने बताया कि धर्मातरण के केसमें सजा व अधिकतम जुर्माने का सागर में संभवत: यहपहला मामला है।
अपर लोक अभियोजक जारोलिया के अनुसार 40वर्षीय आरोपी रमेश पिता बाबूलाल मसीह तथा 40वर्षीय उसकी पत्नी सखी निवासी विवेक नगर भैंसाथाना कैंट पर आरोप है कि दोनों ने 18 अक्टूबर 2021एवं उसके पूर्व भैसा में फरियादी अभिषेक को ईसाईधर्म अपनाने पर नौकरी व 20 हजार रुपए प्रतिमाहदेने और ईसाई धर्म स्वीकार न करने पर उसकी पत्नीको फरियादी के साथ न भेजने का दबाव बना रहे थे।आरोपी उसकी पत्नी को भी ईसाई धर्म अपनाने कोकहते थे।
जिससे वह भयभीत था। आरोपियों ने उस पर मानसिकदबाव बनाया। जिस पर अभिषेक ने मामले की कैंट थानेमें रिपोर्ट दर्ज कराई। कोर्ट में चालान पेश होने के बादसुनवाई चली।
कोर्ट ने माना कि रमेश व सखी ने अभिषेक को न सिर्फधर्म परिवर्तन करने के लिए प्रलोभन दिया व दबावडाला है, बल्कि उसकी पत्नी व अन्य को भी ईसाई धर्मअपनाए जाने के लिए प्रोत्साहित किया है। ऐसी दशामें आरोपी रमेश एवं सखी को अधिनियम की धारा 3सहपठित धारा 5 के अधीन 2-2 वर्ष के सश्रम कारावासएवं 25-25 हजार रुपए अर्थदंड से दंडित कियाजाता है। अर्थदंड की राशि जमा न किए जाने पर उन्हेंव्यतिक्रम् में 6-6 माह का अतिरिक्त सश्रम कारावासभुगताया जाएगा।
अपर लोक अभियोजक जारोलिया ने बताया कि इसअधिनियम की धारा 3 में अधिकतम 5 साल तक कीसजा का प्रावधान है। को्ट ने इस केस में अधिकतम 25हजार का जुर्माना दोनों पर अलग-अलग लगाया है। कोर्टने इस अपराध को क्षमा योग्य नहीं माना।
विपक्षी वकील का तर्क-नरम रुख अपनाया जाए
आरोपियों की तरफ से पैरवी करने वाले वकील ने तर्कदिया कि वह प्रथम अपराधी हैं। उनकी उम्र 40 वर्ष है।और यदि उन्हें कारावास की सजा दी जाती है तो उनकेभविष्य पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा, इसलिए उनके प्रतिनरम रुख अपनाया जाए। अभियोजन पक्ष के वकीलने कहा कि आरोपी पति- पत्नी ने आवेदक और उसकीपत्नी को भी धर्म परिवर्तन करने का दबाव बनाया।इसके पुख्ता प्रमाण हैं। दोनों को सजा मिलनी चाहिए।E