प्रार्थना की सामर्थ क्या है?
प्रार्थना में बहुत सामर्थ्य होता है, उसको बाइबिल ने स्थापित भी किया है| जैसे बाइबिल हमे बताती है धर्मी जन के प्रार्थना के प्रभाव से बहुत कुछ होता है(याकूब:-5 :16 )| बाइबल हमे बताती है की परमेश्वर की सामर्थ्य ही है जो हमे प्राथनाओ को सुनता है और उत्तर देता है।
हमे निन्मलिखित बातों पर ध्यान देने चाहिए :
1) हमारा प्रभु परमेश्वर सर्व सामर्थी है और वह सब कुछ कर सकता है; उसके वचन कभी भी प्रभावरहित नहीं होते | (लूका 1:37)।
2) सर्व सामर्थी जीवित प्रभु परमेश्वर उसके लोगों को प्रार्थना के लिए न्योता देता है।परमेश्वर की महिमा के लिए (यूहन्ना 14:13-14), परमेश्वर से प्रार्थना स्थाई (लूका 18:1),विश्वास में (याकूब 1:5), धन्यवाद के साथ (फिलिप्पियों 4:6),परमेश्वर की इच्छा के भीतर (मत्ती 6:10),और परमेश्वर के साथ सही हृदय के साथ (याकूब 5:16) की जानी चाहिए।
3) सर्व सामर्थी प्रभु परमेश्वर उसकी सन्तानो की प्रार्थनाओं को सुनता है। वह हमें प्रार्थना करने का आदेश देता है, और जब हम उनकी आदेशों को मानकर प्रार्थना करते है तब परमेश्वर भी अपनी दी हुए प्रतिज्ञा को पूरा करता है|”अपने संकट में मैंने यहोवा परमेश्वर को पुकारा…….. ” (भजन संहिता 18:6)।
4) “हे ईश्वर, मैंने तुझ से प्रार्थना की है…….. ” (भजन संहिता 17:6)। “धर्मी दोहाई देता है और यहोवा सुनता है…….. ” (भजन संहिता 34:17)।ये सब वचनो को पढ़कर हम सब समझ सकते है की हमारा परमेश्वर हमारी प्राथनाओ को सुनकर उतर देता है|
हमारे प्राथनाओं के उत्तर मिलना या न मिलना एक बात पर ही आधारित है की हमारे जीवन में उस विषय को लेकर कितना ज्यादा विश्वास है| तथापि, कई बार परमेश्वर हमारी प्रार्थनाओं का उत्तर हमारे विश्वास की कमी के होने के पश्चात् भी देता है। प्रेरितों के काम 12 मे, कलीसिया बन्दीगृह से पतरस के छुटकारे के लिए प्रार्थना करती है (वचन 5), और परमेश्वर उनकी प्रार्थनाओंको सुनकर पतरस को छुटकारा भी देता है (वचन 7-11)। पतरस प्रार्थना सभा स्थल के दरवाजे तक पहुँचता है और उसे खटखटाता है, परन्तु जो प्रार्थना कर रहे हैं, वे पहले इस पर विश्वास करने से इन्कार कर देते हैं कि वह वास्तव में पतरस ही था। उन्होंने प्राथनाये तो की,परन्तु वे अपनी प्रार्थनाओं के उत्तर उपलब्धि की आशा में निष्फल हो गए।
प्रार्थना की सामर्थ्य किसी विशेष दिशा में खड़े होकर या शरीर की किसी निश्चित मुद्रा के ऊपर आधारित नहीं है। प्रार्थना की सामर्थ्य कलाकृतियों या प्रतीक या मोमबत्तियों या मोतियों की माला के उपयोग से नहीं आती है। प्रार्थना की सामर्थ्य उस सर्वसामर्थी परमेश्वर से आती है, जो हमारी प्रार्थनाओं को सुनता और इनका उत्तर देता है। प्रार्थना हमारे और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के बीच के रिश्तो को स्थापित कर देती है, और हमें उस परिणामों की अभिलाषा करनी चाहिए, चाहे वह हमारी विनतियों का उत्तर हमें प्रदान करता है या नहीं या हमारी याचना को सुनने से इन्कार कर देता है। हमारी प्रार्थनाओं का चाहे कुछ भी उत्तर क्यों न हो, जिस परमेश्वर से हम प्रार्थना करते हैं, वही प्रार्थना की सामर्थ्य का स्रोत है, और वही हमें उसकी सिद्ध इच्छा और समय के अनुसार उत्तर देगा और दे सकता है।